Thursday, May 10, 2012

यही वक्त है कदम उठाने का


अन्ना हजारे यदि बात नहीं उठाते, तो महाराष्ट्र की आम जनता को पता नहीं चलता कि उनकी छोटी-छोटी शिकायतें सुनने के लिए इस राज्य में एक संस्था है, जिसका नाम है 'लोकायुक्त'। वह शिकायतें सुनता है, अपने तरीके से छानबीन भी करता है, संबंधित विभाग से जवाब-तलब भी करता है, पर कार्रवाई कुछ नहीं होती! आखिर क्यों? क्योंकि, कार्रवाई करने का उसे अधिकार नहीं है। हां, कुछ अर्से के बाद वह संस्तुति के साथ सरकार को रिपोर्ट भेजता है, जो विधानमंडल में भी रखी जाती है। कुल मिलाकर नतीजा 'ठन-ठन गोपाल।' कोर्ट में 'तारीख पर तारीख' की तर्ज पर लोकायुक्त के 'चक्कर पे चक्कर' काटने के अलावा शिकायतकर्ता की झोली में कुछ नहीं आता। तो फिर सवाल यह है कि ऐसे दंत विहीन लोकायुक्त होने का मतलब और औचित्य क्या है?
ऐसे लोकायुक्त को सशक्त बनाने और आम जनता के लिए न्याय के दरवाजे खोलने, उसका जीना सहनीय बनाने के शुद्ध मकसद से जो मसौदा अन्ना ने बनाया है, वह इन दिनों देश के विचाराधीन है। जिस तरह अन्ना ने केंद्र में जनलोकपाल विधेयक के लिए संघर्ष जारी रखा है, उस तरह वे राज्यों में लोकायुक्त के गठन पर जोर दे रहे हैं। इस मामले में जनजागृति के लिए अन्ना ने 2 मई से महाराष्ट्र का दौरा शुरू किया है। जिलों में जाकर वे जनता को सशक्त लोकायुक्त की आवश्यकता, उसके फायदे, उसके उपयोग के बारे में शिक्षित करने वाले हैं। लोकायुक्त के गठन के लिए जो मसौदा अन्ना ने प्रस्तावित किया है, वह कमोबेश मिनी जन लोकपाल जैसा है। वह भ्रष्टाचार के विरोध में ओंबुड्समैन जैसे ही काम करेगा। गांव या शहर का छोटा आदमी छोटे सरकारी अफसर की शिकायत लेकर लोकपाल तक नहीं पहुंच सकता। लोकपाल का माध्यम उसके लिए पहुंच के बाहर है। अत: राज्य में अधिकारों से लैस लोकायुक्त के गठन पर राजनीतिक और आम समाज में मंथन चल रहा है। अन्ना के मसौदे पर बहस हो सकती है, व्यावहारिक दृष्टि से इसमें सुधार भी हो सकते हैं, पर मृत अवस्था में पड़े लोकायुक्त को जिंदा करना सचमुच बेहद जरूरी है, वर्ना भ्रष्टाचार का भस्मासुर आम जन का जीना मुश्किल कर देगा। वक्त आ गया है आवाज के साथ कदम उठाने का, सब कुछ अन्ना पर मत छोड़िए।
अन्ना के सशक्त लोकायुक्त मसौदे में क्या हैं मुख्य प्रावधान :-
जनलोकपाल की तरह राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।
यह संस्था चुनाव आयोग और हाई कोर्ट की तरह सरकार के नियंत्रण से मुक्त होगी। वह मुख्यमंत्री समेत किसी भी नेता और अधिकारी की जांच कर सकेगी। किसी भी मामले की जांच के लिए समयावधि तय होगी। वह एक साल की होगी।
भ्रष्टाचार के कारण सरकार या व्यक्ति को जो नुकसान हुआ है , अपराध साबित होने पर वह दोषी से वसूला जाएगा। अगर आपका राशन कार्ड , मतदाता पहचान पत्र , पासपोर्ट आदि जरूरी कागजात तय समय में नहीं बनते , पुलिस शिकायत दर्ज नहीं करती , तो आप लोकायुक्त से शिकायत कर सकते हैं। उसे एक महीने के भीतर सुनवाई और जांच एक साल में पूरी करनी होगी। दोषी को दो साल के भीतर जेल भेजना होगा। लोकायुक्त का काम पारदर्शी होगा। उसके किसी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जांच 2 महीने में पूरी करनी होगी। मामलों की जांच करने , समन्स देने , वारंट इश्यू करने और मुकदमा दायर करने के लिए पूर्ण शक्ति और व्यवस्था से वह लैस होगा।

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