छोटे कपड़े या छोटी सोंच
पुरुष छोटे और 'भड़काऊ' कपड़ों को छेड़छाड़ और रेप जैसी घटनाओं के लिए हमेशा से जिम्मेदार मानते रहे हैं। ऐसे में आंध्र प्रदेश के डीजीपी और कर्नाटक के एक मिनिस्टर का ऐसा ही बयान हैरान नहीं करता। लेकिन क्या वाकई यही हकीकत है: ड्रेस कोड की बात नई नहीं है, लेकिन पिछले दिनों आंध्र प्रदेश के डीजीपी और कर्नाटक के एक मिनिस्टर के बयानों ने इस बहस को एक बार फिर से हवा दे दी है। ऐसे में इसे लेकर महिलाएं और उन पर ड्रेस को लेकर लगाम कसने की हिमायत करने वाले, दोनों एक बार फिर से आमने-सामने हैं। करैक्टर ढीला है वैसे, देखा जाए तो यह पूरा मामला सोच के अंतर को ही दिखाता है। जहां लड़कियां सुंदर और स्मार्ट दिखने के लिए ऐसे कपड़े पहनती हैं, जो देह को जितना ढकता नहीं है, उतना उघाड़ता है, तो वहीं पुरुष इसे करैक्टर ढीला होने की निशानी मानते हैं। वे छोटे या बदनदिखाऊ कपड़े पहनने वाली लड़कियों को 'चीप' समझते हैं। वे उन्हें ऐसी लड़की समझते हैं, जो सबके लिए 'ओपन' है। मामला यही गड़बड़ हो जाता है। वे उसे आसान शिकार समझकर पहले फिकरे कसते हैं और जब वह उन्हें भाव नहीं देती, तो वे छेड़छाड़ या रेप जैसी हरकत करते हैं। जाहिर है, पुरुषों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है। उन्हें यह समझना चाहिए कि कपड़ों और करैक्टर में बहुत का फर्क होता है।' पुरुष उत्तेजित होते हैं तमाम पुरुषों को शिकायत है कि वे लड़कियों की भड़काऊ ड्रेसेज को देखकर उत्तेजित हो जाते हैं। तमाम सेक्सॉलजिस्ट भी इस बात से सहमत हैं। वे मानते हैं कि खुली टांगें और ' कपड़ों से झांकते अंग ' पुरुषों को उत्तेजित करते हैं , लेकिन वे यह भी कहते हैं कि यह उत्तेजना ऐसी नहीं होती कि बात रेप तक पहुंच जाए। जाने - माने सेक्सॉलजिस्ट डॉ . प्रकाश कोठारी का मानना है कि शॉर्ट ड्रेसेज को देखकर एक्साइटमेंट होना इंसान की प्रकृति है। लेकिन उसके बाद रेप अटेंप्ट जैसी चीजें विकृति हैं। वह कहते हैं , ' अगर किसी महिला ने शॉर्ट ड्रेस और किसी ने बुरका पहना है , तो जाहिर है कि शॉर्ट ड्रेस वाली महिला को लेकर पुरुष ज्यादा एक्साइट होंगे। लेकिन सिर्फ शॉर्ट ड्रेस को रेप के बढ़ते केसेज के लिए जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है। अगर कोई पुरुष महिला के साथ रेप की कोशिश करता है , तो वह उसकी इंडीविजुअल प्रॉब्लम है। ' लेकिन कंट्रोल जरूरी है सोशियॉलजिस्ट बी . पी . शर्मा इस मामले में पुरुषों को समझदारी दिखाने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं , ' बेशक पुरुष कम कपड़ों वाली महिलाओं को देखकर उत्तेजित हो जाते हैं , लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे अपना कंट्रोल खो बैठें। आखिरकार हम लोग एक सिविलाइज्ड सोसायटी में रहते हैं। बदलते जमाने में पुरुषों को और ज्यादा समझदार होने की जरूरत है। ' भले ही तमाम पुरुष महिलाओं पर बंदिशें लादने की हिमायती हों , लेकिन महिलाओं का कहना है कि उन्हें कंट्रोल करने की बजाय पुरुषों को खुद को कंट्रोल करना चाहिए। उनका मानना है कि महिलाओं पर किसी तरह की बंदिश लगाकर बढ़ते रेप केसेज पर काबू नहीं पाया जा सकता। सिंगर शिबानी कश्यप कहती हैं , ' यह बेहद शर्मनाक है कि हमारे मिनिस्टर्स और बड़े पुलिस ऑफिसर्स इस तरह की मानसिकता रखते हैं। शायद उन्हें नहीं पता कि सलवार सूट पहनने वाली लड़कियों के साथ भी रेप की घटनाएं होती हैं। ' बकौल शिबानी , हर लड़की को अपनी मर्जी के कपड़े पहनने की आजादी होनी चाहिए। आखिरकार इस दुनिया में हर इंसान को अपने तरीके से जीने की आजादी है। यह बेहद शर्मनाक है कि हमारे मिनिस्टर्स और बड़े पुलिस ऑफिसर्स इस तरह की मेंटलिटी रखते हैं। उन्हें यह समझना होगा कि सलवार सूट पहनने वाली लड़कियों के साथ भी रेप की घटनाएं होती हैं। वैसे न सिर्फ कर्नाटक के मिनिस्टर और आंध्र प्रदेश के डीजीपी , बल्कि तमाम दूसरे लोग भी महिलाओं पर बंदिश चाहते हैं। नवभारत टाइम्स डॉट कॉम के ऑनलाइन पोल में लोगों से महिलाओं की भड़काऊ ड्रेसेज के बारे में उनकी राय पूछी , तो ज्यादातर पाठकों ने रेप के केसेज के लिए न सिर्फ भड़काऊ ड्रेसेज को जिम्मेदार बताया , बल्कि इन पर रोक लगाने की हिमायत भी की।
Wednesday, January 18, 2012
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