आत्मा का दर्द अभी बाकि है दोस्तों .............
अन्दर पड़े और जाने हकीकत को सही है तो पसंद करें ............इंडिया मई पार्टियाँ कुकुर मुत्ते की तरह उगती जा रही है. हमें सोचना होगा की हम हिंदुस्तान को कहाँ ले जा रहे हैं. आज लोग पार्टी से क्यों जुड़ना चाहते है. मेरे हिसाब से तो सभी स्थानीय स्तर पर आपनी धक् बनाने के लिए या कुछ ठेकेदारी या अन्य माध्यम से कुछ कम लें. यैसे तो आपना-आपना करने से हिंदुस्तान का कुछ होने वाला नहीं है. सच तो यही है की आज जो पार्टी से जुड़ना चाहता वह किसी तरह से घर भरना चाहता है. हम और हमारा संबिधान एकता, अखंडता की बात तो करता है हमारा संबिधान लेकिन आखिर पार्टियाँ क्यों इसको नहीं मन रही है. आखिर अब समय आ गया की हमें छेत्रियता के स्थान पर वास्तव मई दो दलीय व्यवस्था की बात करनी चाहिए. नहीं तो चाहे ए राजा हो यामधु कोड़ा. कामनवेल्थ गेम्स या बोफोर्स घोटाला चाहे विदेशी धन की बात हो भविष्य मैं तो मिटने का नाम नहीं लेगे..हम कब जगेगे जब हम वास्तव मैं सही रूप मैं एक नया भारत बनायेगे.....आज पांच राज्यों मई चुनाव है. मई सोचता हूँ की किसी न किशी तरह से सभी प्रत्याशी जीतने की जुगत मई है. येन केन प्रकारेन. इसे मई चुनावी नियम कायदों को हर जगह धज्जिया उड़ाई जा रही है. क्या हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले देश है तो हमें कुछ सुधर वो भी जल्द करने की जरुरत नहीं है. क्या पारदर्शिता को जल्द लाने की जरुरत नहीं है.. दोस्तों भारत ने ६ वाँ वेतन आयोग तो लागू कर दिया ये भी सोचना चाहिए की भारत मई २०-३० प्रतिशत लोगों को जो खाना खाने लायक थे उनको खीर मलाई परोशी जा रही है.. साथ ही जो गरीबी रेखा से निचे रह रहे है. उनको क्या दिया. आज भारत मई ३५ प्रतिशत लोग भूखो सो जा रहे है. उनको को सरकार खाना नहीं दे प् रही है तो फिर सारी व्यवस्था को क्या कहा जाये . की हम जो भेज रहे है वह पात्र लोगो तक क्यों नहीं पहुच पा रहा है. आज कोई मंत्री का भ्रस्टाचार उजागर हो रहा है तो कोई पूर्व नेता का या नोकरशाह का सभी इस हमाम मै नंगे है. आज सभी दल सत्ता की मलाई खाने के लिए बेताब है. भैया यदि आप कहते है की सत्ता मै रहकर विकास करना चाहते है तो विधायक . सांसद रहकर क्यों नहीं करा सकते है. उसमे भी तो निधियां आती है. क्यों खर्च नहीं करते है. चाहे तो आप उसी से आपने छेत्र मैं चार चाँद लगा दें लेकिन पैसा तो उसी को मिलता है जो कुछ प्रतिशत आपको पहले दे तो ठीक है. यदि यैसा ही चलता रहा तो निकट भविष्य मैं देश हो या प्रदेश विकाश तो दूर की कौड़ी सवित होगी...
Saturday, January 28, 2012
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